अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) द्वारा वर्ल्ड एंप्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेन 2020 जारी की गई है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2020 में वैश्विक बेरोजगारी के लगभग 2.5 मिलियन बढ़ने का आंकड़ा तैयार किया गया है। पिछले 18 वर्षों में निम्न आय वाले देशों में प्रति व्यक्ति आय में केवल 1.8% औसत वृद्धि देखी गई है।
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मुख्य बातें
- इस रिपोर्ट के अनुसार आयु लिंग भौगोलिक स्थिति से संबंधित आर्थिक विकास और व्यक्तिगत अक्षर दोनों सीमित होंगे , वैश्विक बेरोजगारी पिछले 9 महीनों से स्थिर देखी जा रही है।
- लगभग 188 मिलियन बेरोजगारी की संख्या दुनिया भर में देखी गई है, 165 मिनियन लोग ऐसे हैं जो अल्प वेतन यानी कम वेतन से बुरी तरह प्रभावित हैं।
- 630 मिलियन से अधिक कार्यशील श्रमिक निर्धनता से प्रभावित है, वर्ष 2020-21 में विकासशील देशों में मध्यम या अत्यधिक कार्य से निर्धनता बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
- कार्यशील निर्धनता वह कहलाती है जहां क्रय शक्ति समता के आधार पर प्रतिदिन आय की स्थिति 3.20 डॉलर से कम होती है।
- 2030 गरीबी उन्मूलन की सतत विकास लक्ष्य अंखियां एक को प्राप्त करने में बाधाएं उत्पन्न होंगी
- 267 मिलियन युवा जो 15 से 24 आयु वर्ग के रोजगार, शिक्षा या किसी प्रकार की प्रशिक्षण को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
- व्यापार प्रतिबंध और संरक्षणवाद में वृद्धि के कारण रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है जो चिंता का विषय बना हुआ है।
- एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि दें कमी आई है, जो वर्ष 2018 में 5.1% से घटकर वर्ष 2019 में 4.6% हो गई है।
- भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ LOWER- MIDDLE INCOME COUNTRIES समूह मे शामिल हो गया है।
आइए जानते हैं क्या होता है अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के बारे में: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूरों के अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का गठन किया गया। वर्ष 2019 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी सौवीं वर्षगांठ मनाई थी,संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है। यह श्रम निर्धारित करने तथा नीतियों को विकसित करने के साथ-साथ महिलाओं एवं पुरुषों के लिए कार्य को बढ़ावा देने में इसकी भागीदारी होती है।
इसकी स्थापना राष्ट्र संघ से समृद्ध एवं स्वतंत्र अंतरसरकारी के रूप में 11 अप्रैल 1919 को हुई थी यह संयुक्त राष्ट्र का प्रथम विशिष्ट अभिकरण बना, इसका मुख्यालय जेनेवा में है।
वर्ष 1969 में इसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था। वर्तमान में 187 देश इस संगठन के सदस्य है। जिनमें से 186 देश संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से है। यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों पर पंजीकरण भी कर सकती है। लेकिन सरकारों पर आरोपित प्रतिबंध नहीं कर सकती ।
आइए जानते हैं इसके क्या उद्देश्य है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के लक्ष्य
- कानों के मानकों एवं मौलिक सिद्धांतों पर अधिकारों को बढ़ावा देना साथ ही उन्हें वास्तविक धरती में उतारना है।
- इस संगठन का मूल उद्देश्य रहन सहन के स्तर और श्रम की विशाल को सुधारने तथा रोजगार प्राप्त करने के लक्ष्य पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय क्रियाकलापों को प्रोत्साहित करना है।
- मानव संसाधन विकास, सामाजिक सुरक्षा, ग्रामीण विकास, लघु उद्योग, औद्योगिक क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग का विस्तार करना।
- कानून को सुनिश्चित करने महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
- सुरक्षा प्रदान करना साथ ही साथ सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को प्रभावशाली बनाने और उन को बढ़ावा देना ।
- समाज को मजबूत बनाना साथ ही संवाद को विकसित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक संवाद ,रक्षा तथा दादा से ज्यादा रोजगार को बढ़ावा देना है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए 100 से अधिक देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है। जिससे वे विकास में अपनी भागीदारी निभा सकें।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और भारत
भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का संस्थापक सदस्य है। 1922 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के संचालन निकाय का स्थाई सदस्य बना । 1928 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का कार्यालय स्थापित किया गया था। भारत में यह नई क्षमताओं के विकास तथा मजबूती को कायम रखने में अहम भूमिका निभाता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन व्यापार को विकासशील नीति में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही श्रमिक तनु का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय व्यापार संगठन द्वारा किया जाता है।
प्रमुख सुझाव
- जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक सामाजिक सुरक्षा की गारंटी जो लोगों की जरूरतों का समर्थन करें ऐसे तैयारी करनी चाहिए।
- डिजिटल श्रम प्लेटफॉर्म के लिए एक अंतरराष्ट्रीय शासन प्रणाली के साथ सभ्य काम के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रबंधन करना चाहिए।
- लैंगिक समानता हेतु एक परिवर्तनकारी एवं मापने योग्य एजेंट तैयार करना चाहिए ।
- दीर्घावधि निवेश को बढ़ावा देकर रोजगार और व्यापार को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ।
- महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन देना चाहिए साथ ही महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ानी चाहिए ।
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